रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) के लिए विकसित भारत गारंटी के तहत संभावनाएं

रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) के लिए विकसित भारत गारंटी के तहत संभावनाएं

Employment and Livelihood Mission (Rural)

Employment and Livelihood Mission (Rural)

मनरेगा से अनुभव और सीख

लेखक: श्री सरोज महापात्रा

Sh. Saroj Mahapatra, Executive Director of PRADAN देश का आजीविका परिदृश्य विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों के साथ-साथ प्राकृतिक, मानव और आर्थिक संसाधनों, ज्ञान, प्रौद्योगिकी और बाजारों तक असमान पहुंच के कारण अत्यधिक विविध और जटिल है। लगभग 70 प्रतिशत ग्रामीण परिवार कृषि पर निर्भर हैं, इनमें से 83 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान हैं। उत्पादकता में वृद्धि, संसाधनों तक पहुंच, सिंचाई और ग्रामीण बुनियादी ढांचे और बाजार पहुंच में सुधार की एक बड़ी संभावना है और साथ ही लचीली आजीविका के निर्माण के लिए लक्षित निवेश और भागीदारी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

वर्ष 2005 में शुरू किए गए मनरेगा ने आजीविका सुरक्षा के लिए स्‍थायी अवसर उपलब्‍ध कराते हुए प्रति परिवार सालाना कम से कम 100 दिन की मजदूरी सुनिश्चित करते हुए रोजगार प्रदान करके काम के अधिकार की गारंटी दी। ग्राम पंचायत-केंद्रित भागीदारी योजना के माध्यम से, इसने "आज की मजदूरी - कल की आजीविका" के मॉडल को सामने रखा।

मनरेगा के तहत बड़े पैमाने पर परिसंपत्ति निर्माण, विशेष रूप से परिदृश्य-आधारित, समुदाय के नेतृत्व वाले प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के माध्यम से, उत्पादक संपत्ति, आजीविका और आय सुरक्षा और घरेलू क्षमताओं को बढ़ाया गया है। छत्तीसगढ़ में उच्च प्रभाव मेगा वाटरशेड परियोजना ने भूमि और जल संसाधनों का संरक्षण करते हुए छोटे किसानों की आय बढ़ाने के लिए स्थायी अवसर खोले। पश्चिमी ओडिशा में, प्रवासन परियोजना ने अतिरिक्त 200 दिनों का मज़दूरी रोजगार (राज्य के बजट से) प्रदान करके और भूमि तथा जल विकास के माध्यम से स्थानीय आजीविका को मजबूत करके पलायन के संकट को कम कर दिया। झारखंड की बिरसा हरित ग्राम योजना ने ग्राम पंचायतों और महिलाओं के समूहों के नेतृत्व में वृक्षारोपण-आधारित पहलों के माध्यम से परिदृश्य में बदलाव पैदा किया। हाल ही में, मध्य प्रदेश ने जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत 85,000 से अधिक खेत तालाबों का निर्माण किया, इससे छोटे किसानों के लिए जल सुरक्षा में सुधार हुआ।

इन पहलों से मिली प्रमुख सीख इस प्रकार है:

  • जब समुदाय वैज्ञानिक और सहभागी योजना प्रक्रियाओं में शामिल होता है तो लोगों का जीवन और आजीविका तब बदल जाती है; 
  • बढ़ी हुई तकनीकी क्षमताओं के साथ; 
  • जीआईएस उपकरण और जल बजट को एकीकृत करना; 
  • भूमि और जल संरक्षण परिसंपत्तियों के बड़े पैमाने पर निर्माण के लिए, इससे आजीविका में गहनता और विविधीकरण होगा; 
  • ग्राम पंचायत के नेतृत्व वाली योजनाओं को साकार करने के लिए लाइन विभागों के साथ मजबूत तालमेल के साथ लक्षित निवेश।
  • समुदाय के नेतृत्व वाली योजना छोटे और सीमांत किसानों के स्वामित्व, प्राकृतिक संसाधनों, कौशल और आकांक्षाओं को मजबूत करती है, इससे विविध और निरंतर आजीविका सक्षम होती है।

पिछले दो दशकों में, मनरेगा ने अल्पकालिक मजदूरी को स्थायी आजीविका में बदलने के तौर-तरीकों के साथ ग्रामीण परिवारों को सुनिश्चित मजदूरी रोजगार प्रदान किया है। जैसा कि ग्रामीण युवा तेजी से 2.5 लाख रूपये या उससे अधिक की वार्षिक आय की आकांक्षा रखते हैं, आगे का रास्ता लचीली आजीविका को मजबूत करने, जलवायु-लचीलापन और जल सुरक्षा को बढ़ावा देने, ग्रामीण विकास केंद्रों को विकसित करने और उद्यमिता को बढ़ावा देने में निहित है।

विकसित भारत के तहत संभावनाएं - रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) के लिए गारंटी

इस प्रस्तावित कार्यक्रम का उद्देश्य घरेलू आय सुनिश्चित करके, रोजगार के दिनों को बढ़ाकर और निरंतर आजीविका परिसंपत्तियों का निर्माण करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। पानी की उपलब्धता में सुधार, आजीविका को मजबूत करने और ग्रामीण बुनियादी ढांचे का निर्माण करने की संभावनाएं हैं जो जलवायु अनिश्चितताओं और चरम मौसम का सामना कर सकें। इस पहल की एक प्रमुख विशेषता ग्रामीण विकास के लिए एक एकीकृत और समावेशी दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए कई सरकारी प्रमुख कार्यक्रमों के साथ तालमेल बैठाना है और यह विकसित भारत @ 2047 के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

जल सुरक्षा इस कार्यक्रम का प्रमुख घटक है। आवश्यकता-आधारित दृष्टिकोण के साथ, कार्यक्रम समुदाय-केंद्रित योजना को बढ़ावा देता है और छोटे किसानों की आवश्‍यकताओं को पूरा करता है। विकसित ग्राम पंचायत योजना, 'एक ग्राम पंचायत, एक योजना' के सिद्धांत के तहत बॉटम-अप प्लानिंग यूनिट के रूप में काम करेगी। इस कार्यक्रम के अनुसार 125 कार्य दिवसों का प्रावधान होगा और साथ ही यह स्थानीय आवश्‍यकताओं की पहचान करने, उपलब्ध कौशल का उपयोग करने, आजीविका के अवसरों को अनलॉक करने और ग्रामीण लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद करेगी। योजना प्रक्रिया अधिक पारदर्शी बनाने के लिए सीएसओ और विशेषज्ञ ग्राम पंचायत पदाधिकारियों की क्षमताओं को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। विशेष रूप से दीन दयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं के नेतृत्व वाले सामुदायिक संस्थानों और योजनाओं की भागीदारी के साथ, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, स्थानीय इको सिस्‍टम की रक्षा करने और भागीदारी योजना के माध्यम से सामुदायिक स्वामित्व को बढ़ावा देने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर जल सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है।

जब निरंतर आय के अवसर पैदा करने के लिए परिसंपत्तियों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाएगा तब आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी । ग्राम पंचायत और महिला समूह टिकाऊ उत्पादन प्रणालियों, जलवायु अनुकूल तौर-तरीकों, बेहतर प्रौद्योगिकियों, क्लस्टर आधारित आजीविका, स्थानीय उद्यमिता और मजबूत अभिसरण के माध्यम से आजीविका को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसके अलावा, एक वैधानिक गारंटी के रूप में, इससे मौजूदा 100 दिनों से अधिक मजदूरी रोजगार के 25 अतिरिक्त दिनों की अनुमति मिलती है और साप्ताहिक भुगतान के प्रावधान के साथ, एक वित्तीय सुरक्षा प्राप्‍त होती है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने देशभर में अत्यंत कमजोर परिवारों की आजीविका का समर्थन करने के लिए पहले ही समावेशी आजीविका योजना शुरू कर दी है।

यह मिशन उत्पादन जोखिमों को कम करने और जलवायु परिवर्तनशीलता के प्रति लचीलेपन में सुधार करने के लिए आजीविका से सम्‍बंधित ग्रामीण बुनियादी ढांचे जैसे भंडारण गोदामों, छोटे कोल्ड स्टोरेज, सौर प्रसंस्करण इकाइयों आदि के विकास का भी समर्थन करता है। साथ ही, प्रणालियों और प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण पर एक मजबूत ध्यान देने से पारदर्शिता, दक्षता और सेवा वितरण में सुधार होने की उम्मीद है।

महिलाओं, पानी और समृद्धि पर बल  दिये जाने की प्रक्रिया सामाजिक समानता और पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा देते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए डिज़ाइन की गई है। महिलाओं के नेतृत्व वाले एसएचजी, क्लस्टर-स्तरीय संघ और ग्राम पंचायतें कमजोर परिवारों, विशेष रूप से महिला सदस्यों की पहचान करने और उनके जीवन और आजीविका में परिवर्तन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए योजना प्रक्रियाओं में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

125 दिनों का मजदूरी रोजगार प्रदान करने वाला यह संतृप्ति और अभिसरण-आधारित, प्रौद्योगिकी-सक्षम, समावेशी और प्रगतिशील विधेयक ग्रामीण भारत में लचीलेपन को मजबूत करने और आजीविका के अवसरों का विस्तार करने पर केंद्रित है। यह विकसित भारत @ 2047 के दृष्टिकोण के अनुरूप ग्रामीण क्षेत्रों को गरिमा, अवसर और आकांक्षा का स्थान बनाना चाहता है।

लेखक कार्यकारी निदेशक, प्रदान के पद पर कार्यरत हैं।